शनिवार, 25 अप्रैल 2009

अगर ये कहा जाय कि राजनीति की चौरस के पासें सिर्फ कौरवों के हाथ में है तो कोई गलत नही होगा ....लगभग पांच साल तक कांग्रेस की चौखट वाली सरकार की दहलीज पर बैठने वाले लालू अब ये कहने से बाज नही आ रहे है अगर मस्जिद गिराने के लिए सबसे ज्यादा कोई जिम्मेदार है तो वो है कांग्रेस ......शायद लालू को सत्ता के स्वाद के आगे ये याद नही रहा कि जिस थाली में वो खा रहे है ,उसमें भी छेद है हालांकि इस दौरान वो जिस छेद वाली थाली में जमकर सब कुछ छानते रहे जो कुछ वो छान सकते थे .......औऱ चुनाव के आते ही उन्हे अब याद आने लगा कि कांग्रेस क्या है .......शायद ऐसा उन्हे ऐसे ही नही लगा है बल्कि उन्हे पता है कि पिछली बार उन्होने कांग्रेस की सरकार में मलाई इसलिए छानने को मिली थी कि वो बिहार की चालीस सीटों में पच्चीस सीटों पर बाजी मारने में सफल रहे थे लेकिन इस बार ऐसा नही है ......क्योंकि नीतीश सरकार ने बिहार में उन उम्मीदों को काफी हद तक जिंदा कर दिया जिसके लिए बिहार लालू राज के दौरान तडपता रहा है ...बिहार में १७ फीसदी यादव १५ फीसदी मुस्लिम और १३ फीसदी दलित है जिसमें लालू को यादवों औऱ मुस्लिमों का वोट मिलता रहा है लेकिन न तो इस बार लालू का जादू चल रहा है औऱ न ही लालू की लालटेन की लाइट जगमगा रही है .......लालू को पता है कि कांग्रेस इस बार मुस्लिमों पर डोरे डालने में सफल हो रही है और इस बार लालू की २५ सीटे से १५ सीटे पर ही सिमट सकती है इसलिए लालू पूरी तरह कांग्रेस पर हल्ला बोले हुए है क्योंकि उनको पता है कि अगर उन्हे यादवों के वोट के साथ मुस्लिमों का वोट भी मिल जाता है तो काफी हद तक उनकी नैया पार लग जाएगी .......दूसरा कारण उन्होने मुलायम सिंह से गठजोड कर लिया है जो मुसलमानों के कम से कम उत्तर प्रदेश में तो हमदर्द माने जाते है .....इसलिए वो मुसलमानों को ये जताना चाहते है कि एक तो वो खुद मुसलमानों के हमदर्द है साथ ही वो ऐसी पार्टियों से गठबंधन करेगी जो मुसलमानों का हित ही अपना हित मानती है ये बात और है कि ये सियासी पार्टियों को अगर किसी के हित की याद आती है तो वो चुनाव का समय ही होता है ......हालांकि ये भी सही है ज्यादातर पार्टिया मुसलमानों को ही लुभाने में लगी है .......इसका सबसे कारण ये है आजादी के बाद तक मुसलमानों का वोट कांग्रेस का वोट माना जाता था लेकिन बाबरी मस्जिद के बाद ये वोट धीरे धीरे खिसकने लगा.....उत्तर प्रदेश में ये वोट जहां सपा के हिस्से में आता गया वही दूसरे राज्यों में दूसरी पार्टियों को इसका वोट मिलता रहा है.......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें