शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

एक प्यार में हुई अंधी तो दूसरी ने दिखाई होशियारी लेकिन फिर बरबाद की एक औरत ने औऱत की जिंदगी ......मां बाप ने उसे स्कूल भेजा तो था कि पढलिखकर वह समाज के रीतिरिवाज औऱ कुछ दुनियादारी के बारे में जान जाऐगी .......लेकिन जिस उम्र का पडाव सबसे ज्यादा फिसलन वाला होता है उस पडाव ने उसे भी नही छोडा ......इसे जवानी का जोश कहें या फिर आकर्षण का असर या फिर कहें कि उसे भावनाओं का समंदर बहाया ले गया लेकिन ये सच था कि वो बह चुकी थी एक ऐसे बहाव में जहां से वापसी का रास्ता कोई नही होता है और जब उस बहाव के विपरीत कोई चलता भी है तो दामन में दाग लग ही चुका होता है ......हकीकत से दूर होकर लोग बहुत से सपने बुनते है उसने भी बुने और वही हुआ जो हकीकत को दरकिनार करने के बाद होता है ........उसने अपनी जिंदगी का सफर तय करने के लिए जिस हमसफर का ख्वाब देखा था वो उसे उस रुप में नही मिला जिस रुप में उसे मिलना चाहिए था ......क्योंकि वो किसी दूसरे के सफर का राही बन चुका था॥ किस्मत ने उसे भी किसी दूसरे घर की इज्जत बना दिया था लेकिन रास्ते अलग अलग होने के बावजूद दोनों एक ही मजिल का रास्ता तय करने के लिए तडप रहे थे औऱ फिर एक रास्ते पर मुलाकात हुई और फिर जो रास्ते अलग हो गए थे वो एक पंगडडी पर आकर मिल गए लेकिन ये दोनों को नही पता था कि वो पगडंडी कहा जाती है ....

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