रविवार, 17 मई 2009

कहा जाता है कि अगर किसी पार्टी को दिल्ली के तख्त तक पहुंचना है तो उसे लखनउ का रास्ता तय करके ही जाना पडेगा....संसद में सबसे ज्यादा सांसद पहुंचाने वाला उत्तर प्रदेश हमेशा से ही चर्चा में रहा है ...अभी ज्यादा दिन नही हुए जब मायावती ने ये नारा दिया था कि चढ गुंडन की छाती पर मोहर लगेगी हाथी पर ...... शायद मायावती इस नारे से जनता को बताना चाहती थी कि उनकी पार्टी न तो गुडों को आश्रय देगी औऱ न ही राजनीति का अपराधीकरण करने का समर्थन करेगी ........लेकिन शायद राजनीति में पाला और जबान बदलते देर नही लगती है ....... और इसकी झलक एक बार फिर से पंद्रहंवी लोकसभा चुनाव में दिखी.......इस चुनाव में मायावती ने उन्ही खूंखार अपराधियों को टिकट दी जिन्हे कभी मायावती पानी पी पी कर गालियां दिया करती थी फिर चाहे वो मुख्तार अंसारी या फिर अफजल अंसारी अथवा धनजंय सिंह हो......राजनीति की चौखट उस वेश्या की चारपाई की तरह है जिस पर कभी भी कोई भी आकर हमबिस्तर हो सकता है ......

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