शनिवार, 16 मई 2009

आखिर खत्म हुआ इंतजार औऱ निकला इवीएम पिटारे से वो राज जिसे जानने के लिए सब थे बेकरार वो जनता हो या फिर उम्मीदवार, जनता ने दिया मनमोहन सिंह को फिर से एक बार देश को चलाने का मौका हालांकि इस बात की इतनी उम्मीद नही की जा रही थी कि यूपीए सरकार को सरकार बनाने के लिए उसे इतनी सींटे मिल जाएगी लेकिन जनता तो जनता है उसका क्या निर्णय होगा ये किसी को पता नही होता हां चैनल विश्लेषक और जानकार सभी अनुमान जरुर लगाते है लेकिन जनता का क्या निर्णय होगा अब वो इसे भांपने में नाकाम हो रहे है ....पिछली बार भी मीडिया और जानकारों विश्लेषकों ने भाजपा को सरकार बनाने के नजदीक पहुंचने की भविष्यवाणी की थी लेकिन न तो एनडीए को उसका शाईनिंग इंडिया जीत दिला पाया और न ही अटल का जादू एनडीए को विजेता बना पाया, इस बार भी अनुमान यूपीए और एनडीए को मीडिया ने दो सौ के भीतर ही सीमित रखा था साथ ही दोनों के बीच विशेष अंतर नही समझा जा रहा था लेकिन जब नतीजे आए तो सब कुछ अप्रत्याशित था ,माकपा बदहाल हो चुका था लालू की लालटेन गुल हो गई रामविलास की लुटिया डूब गई ,और आडवाणी के हाथों की लकीरों से राजसत्ता का योग गायब हो चुका था ,....वहीं मनमोहन सिंह पांच साल तक कमजोर प्रधानमंत्री का दर्द सहकर एक बार फिर से मुस्कराने की भूमिका में है....राजनीतिक पार्टियां भले ही पानी पीपीकर उन्हे पांच साल तक इस बात के लिए कोसती रही हो कि वो सोनिया के हाथ के कठपुतली है लेकिन जनता को शायद राजनीतिक पार्टियों की ये बातें प्रतिद्दिता का परिणाम ज्यादा लगी और हकीकत कम ,शायद यही कारण है कि जनता ने इस बार मनमोहन सिंह को सरकार बनाने के लिए एक ऐसा आंकडा दे दिया है जिसके बाद अब मनमोहन सिंह को माकपा के मुंह की तरफ निहारने की जरुरत नही है ......लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए अगर किसी राज्य ने संजीवनी बनकर काम किया है तो वो है उत्तर प्रदेश ,ये वही प्रदेश से जिसके बारे में कहा जाता था कि कांग्रेस अब यहां पर दफन होने के कगार की तरफ बढ रही है .......लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उसने इक्कीस सींटे जीतकर इस प्रदेश में परचम लहराया है वो इस बात के संकेत है कि आने वाले चुनावों में वो एक बार फिर से वो इस प्रदेश को मुख्यमंत्री देने की भूमिका में होगी .......

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