ये कैसी प्रेम की ज्वाला जलाती है जो अंतर्मन मिली मथुरा तो राधा मिल सकी न फिर कभी मोहन यही है सत्य है जीवन का यहां सब कुछ नही मिलता कभी झूले नही मिलते कभी मिलता नही सावन
मेरा नाम शांत है .....लेकिन ये मत सोचिए कि मैं शांत हूं .....क्योंकि अगर मैं शांत होता तो शायद आप मुझे पढते ही नही .....हां पहली नजर में आप भी इस बात का धोखा खा जाऐगें कि मैं अपने नाम की परिभाषा को अपने स्वभाव के द्धारा सही सिद्ध कर रहा हूं .....मैं पढता भी हूं लेकिन किताबों को नही चेहरों को, जो इतने सख्त हो गये है कि भावों के निशान को भी नही आने देते ......मैं लिखता भी लेकिन कुछ ऐसा नही जो लोगों के दिल को बहलाए बल्कि कुछ ऐसा जो होने वाले हर चीज पर प्रश्न उठाए कि आखिर ऐसा ही क्यों ....इससे ज्यादा अगर आपको मेरे बारे में जानना है तो निश्चित ही आप मुझे ढुंढ लेंगे फिर मैं क्यों न कहीं भी होउं
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